वितराग भगवान कुछ नही देते है
भगवान अरहंत देव वितराग है
अठराह दोषो से रहित है और सर्वज्ञ है
इसलिये वे ही नमस्कार करने योग्य और पुजा करने योग्य है
लेकिन भगवान पुजा वा नमस्कार करने से कुछ देते नही है क्योकी वे तो वीतराग है फिर भी उनका आत्मा समस्त दोषो से रहित होने के कारण अत्यंत शुध्द और निर्मल है ,इसलिये उनको भक्ति करने से ,पुजा नमस्कार करने से विशेष पुण्य की प्राप्ती होती है तथा उस विशेष पुण्य से इच्छित पदार्थो की प्राप्ती होती है
इसके सिवाय शुध्द निर्मल आत्मा की भक्ति पुजा करने से अपने आत्माको शुध्द और निर्मल करने की भावना उत्पन्न होती है तथा उस भावना के अनुसार वह जीव अपने आत्मा को वैसा ही बनाने का प्रयत्न करता है और इस प्रकार अपने आत्मा का कल्याण करता हुआ स्वयम अरहंत अवस्था को प्राप्त कर लेता है
भगवान अरहंत देव वितराग है
अठराह दोषो से रहित है और सर्वज्ञ है
इसलिये वे ही नमस्कार करने योग्य और पुजा करने योग्य है
लेकिन भगवान पुजा वा नमस्कार करने से कुछ देते नही है क्योकी वे तो वीतराग है फिर भी उनका आत्मा समस्त दोषो से रहित होने के कारण अत्यंत शुध्द और निर्मल है ,इसलिये उनको भक्ति करने से ,पुजा नमस्कार करने से विशेष पुण्य की प्राप्ती होती है तथा उस विशेष पुण्य से इच्छित पदार्थो की प्राप्ती होती है
इसके सिवाय शुध्द निर्मल आत्मा की भक्ति पुजा करने से अपने आत्माको शुध्द और निर्मल करने की भावना उत्पन्न होती है तथा उस भावना के अनुसार वह जीव अपने आत्मा को वैसा ही बनाने का प्रयत्न करता है और इस प्रकार अपने आत्मा का कल्याण करता हुआ स्वयम अरहंत अवस्था को प्राप्त कर लेता है